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कहानी का शीर्षक: है " " एक सपना " "शुभम सैनी नाम का लड़का एक गरीब परिवार से था, लेकिन उसकी आंखों में बड़े सपने थे। वह हर रोज अखबार बेचते हुए स्कूल जाता था। एक दिन बारिश में भीगते हुए, जब सड़क के किनारे भीगते हुए जा रहा था तभी तभी सड़क पर एक कर में से नीचे उतर एक अमीर आदमी ने उससे पूछा, "तुम इतनी मुश्किलों के बाद भी पढ़ाई क्यों कर रहे हो?" मैं देख रहा हूं बारिश के मौसम में भी एक हाथ में न्यूजपेपर लिए हो और अपने पीठ पे बैग लटकाए स्कूल भी जा रहे हो सैनी शुभम ने मुस्कुराकर कहा, "साहब, हालात गरीब हैं, लेकिन मेरा सपना अमीर है।" वर्षों बाद, वही आदमी एक बड़े अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचा। डॉक्टर ने आकर कहा, "चिंता मत करिए, आप बिल्कुल ठीक हो जाएंगे।"पेशेंट चौंक गया , सैनी शुभम ने झुककर कहा, "साहब, आज मैं वहीं लड़का हूं जो उस समय सड़क पर न्यूज़ पेपर बेचा करता था , और आप मुझे सड़क पे मिले थे , आज आपके आशीर्वाद से मै डॉक्टर बन गया हूं , और मेरा सपना पूर्ण हो गया है हमें इस वीडियो से ये मैसेज मिलता है ,, मुश्किलें कितनी भी बड़ी क्यों न हों, अगर हौसला मजबूत हो, तो सपना जरूर पूरा होता है। तो दोस्तों मोटिवेशनल, मैसेजेस और जागरूकता भरी वीडियो को देखने के लिए मेरे चैनल को सब्सक्राइब करे, और साथ ही साथ , लाईक, कमेंट, और करना ना भूले , मिलते हैं फ्रेंड्स नेक्स्ट वीडियो में तब तक के लिए जय हिंद जय भारत

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  कहानी का शीर्षक: है " " एक सपना " "शुभम सैनी नाम का लड़का एक गरीब परिवार से था, लेकिन उसकी आंखों में बड़े सपने थे। वह हर रोज अखबार बेचते हुए स्कूल जाता था। एक दिन बारिश में भीगते हुए, जब सड़क के किनारे भीगते हुए जा रहा था तभी तभी सड़क पर एक कर में से नीचे उतर एक अमीर आदमी ने उससे पूछा, "तुम इतनी मुश्किलों के बाद भी पढ़ाई क्यों कर रहे हो?" मैं देख रहा हूं बारिश के मौसम में भी एक हाथ में न्यूजपेपर लिए हो और अपने पीठ पे बैग लटकाए स्कूल भी जा रहे हो सैनी शुभम ने मुस्कुराकर कहा, "साहब, हालात गरीब हैं, लेकिन मेरा सपना अमीर है।" वर्षों बाद, वही आदमी एक बड़े अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचा। डॉक्टर ने आकर कहा, "चिंता मत करिए, आप बिल्कुल ठीक हो जाएंगे।"पेशेंट चौंक गया ,  सैनी शुभम ने झुककर कहा, "साहब, आज मैं वहीं लड़का हूं जो उस समय सड़क पर न्यूज़ पेपर बेचा करता था , और आप मुझे सड़क पे मिले थे , आज आपके आशीर्वाद से मै डॉक्टर बन गया हूं , और मेरा सपना पूर्ण हो गया है हमें इस वीडियो से ये मैसेज मिलता है ,, मुश्किलें कितनी भी बड़ी क्यों न हो...

कचरा बीनने वाली की बेटी बनी ISRO की वैज्ञानिक | Inspiring Story of scientists

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  कचरा बीनने वाली की बेटी ISRO की वैज्ञानिक बनी ... कभी-कभी ज़िंदगी इंसान को तोड़ देती है, लेकिन वही ज़िंदगी इंसान को इतना मज़बूत भी बना देती है कि पूरा समाज उसके आगे झुक जाए। यह है राधा की कहानी — एक झुग्गी से निकलकर सितारों तक पहुँचने वाली लड़की की… “कभी-कभी ज़िंदगी इतनी बेरहम होती है कि इंसान टूट जाता है… लेकिन कभी-कभी वही ज़िंदगी इंसान को इतना मज़बूत बना देती है कि पूरा समाज उसके आगे झुक जाता है। यह कहानी है… राधा की। एक ऐसी लड़की… जिसने कचरे के ढेर से अपना सफर शुरू किया और विज्ञान की ऊँचाइयों तक पहुँचकर दुनिया को हैरान कर दिया।” राधा का बचपन… पटना के झुग्गी-झोपड़ी इलाक़े में बीता। सुबह होते ही उसकी माँ शहर की गलियों में कचरा बीनने निकल जाती थी। राधा भी साथ जाती। नन्हें हाथों में टूटी टोकरी, और बदबूदार कूड़े के ढेर। लोग देखते और हँसते “अरे देखो… ये कचरे वाली की बेटी है।” “इसका काम तो सिर्फ गंदगी में है, पढ़ाई-लिखाई इसके बस की नहीं।” राधा सुनती, लेकिन चुप रहती। आँखों में आँसू होते, मगर वो सिर झुका कर माँ का हाथ पकड़ लेती। फिर उसके जीवन मेंआया।   संघर्ष – भूख, अपमान और ...

रिक्शावाले की बेटी बनी IAS अधिकारी | Inspirational Hindi Story badala lungi AIS adhikari mahila

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   “रिक्शेवाले की बेटी IAS अफसर” “कभी किसी गरीब को उसकी गरीबी पर मत आँकना… क्योंकि किस्मत का खेल इतना बड़ा होता है कि जिसको तुम आज धक्का दे रहे हो, कल वही तुम्हारे फैसले करेगा।” आज की कहानी है एक रिक्शेवाले और उसकी बेटी की… एक ऐसी बेटी की, जिसने अपने पिता का टूटा हुआ रिक्शा देख-देखकर अपनी ज़िंदगी का ऐसा पहिया घुमाया… कि पूरा जिला हिल गया। शहर की भीड़भाड़ वाली सड़क… रिक्शेवाला रघुबीर अपने पसीने से लथपथ रिक्शा खींच रहा है। सामने से एक बड़ा अफसर आता है। वो रिक्शे को रोकता है और गुस्से में चिल्लाता है – “सड़क जाम करते हो, निकम्मों की औलाद! तुम्हारे जैसे लोग इसी लायक हैं।” वो रिक्शे को लात मारकर पलट देता है। भीड़ हँसती है। और रघुबीर की बेटी, सावित्री, ये सब अपनी छोटी आँखों से देख रही होती है। उसके चेहरे पर आँसू नहीं… बस एक खामोश आग जल उठती है। सावित्री पढ़ाई में होशियार थी। लेकिन पैसे? किताबें? फीस? कुछ नहीं था। वो दिन में पढ़ाई करती, रात को पिता के साथ रिक्शा खींचने निकल जाती। लोग ताने मारते – 👉 “अरे, रिक्शेवाले की बेटी IAS बनेगी? हा हा हा…” पर सावित्री ने ठान लिया – “जिस दिन बाब...

देश आज़ाद है - लेकिन हम नहीं | मर्मस्पर्शी हिंदी कहानी (15 अगस्त)

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 "आज तिरंगा लहरा रहा है… आसमान में, इमारतों पर, दिलों में। देश सचमुच आज़ाद है। पर सवाल ये है — क्या हम, उसके नागरिक, सच में आज़ाद हैं? हमारे पैर ज़मीन पर हैं, पर मन में डर, जेब में खालीपन, और दिल में दीवारें खड़ी हैं। आज ज़ंजीरें लोहे की नहीं, सोच और हालात की हैं।" कहानी – "देश आज़ाद है… पर हम आज़ाद नहीं" सुबह के आठ बजे, एक छोटा कस्बा। लोग चौक पर इकट्ठा हुए थे — तिरंगे के नीचे, पटाखों और भाषणों के बीच। बच्चे मिठाई की कतार में खड़े थे, बड़े लोग मोबाइल में सेल्फ़ी ले रहे थे। चेहरों पर मुस्कान थी… पर आँखों के पीछे एक थकान छुपी थी। वहीं पास में, एक चाय वाले की दुकान पर रामू खड़ा था — पसीने से भीगा हुआ, जेब में सिर्फ़ 50 रुपये। रामू सोच रहा था — "आज तो छुट्टी है… पर मुझे आज भी काम करना है, वरना घर में चूल्हा ठंडा रहेगा।" शहर में, एक आलीशान ऑफिस में, 25 साल का वरुण लैपटॉप के सामने बैठा था। उसके पास डिग्री, स्किल, और सपने थे — पर नौकरी नहीं। हर जगह जवाब मिलता — "एक्सपीरियंस चाहिए"। वरुण सोचता — "क्या ये भी कोई कैद से कम है?" गाँव में, 60 साल क...

Free Fire Fansi – Virtual Game Addiction Aur Zindagi Ki Kahani

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हँसी-खेल से भरी शामें अब मोबाइल की स्क्रीन में कैद थीं… दोस्ती के धागे टूट रहे थे, और एक गेम ने तीन जिंदगियों की दिशा हमेशा के लिए बदल दी।"   फ्रि फायर फांसी, जिंदगी नर्क  शहर के बाहरी इलाके में एक कॉलोनी थी, जहाँ हर शाम ब  मज़ाक करता था, और अमन, जो थोड़ा शांत और शर्मीला था। ये तीनों हर शाम साइकिल लेकर कॉलोनी के बाहर पहाड़ों की तरफ़ जाते और वहाँ बैठकर घंटों बातें करते थे। लेकिन अब उनका अड्डा बदल गया था। शाम होते ही, वे अपने-अपने घरों से निकलते, लेकिन हाथों में साइकिल की जगह मोबाइल होता। पहाड़ की एक सुनसान चोटी पर बैठकर, वे एक-दूसरे से बात किए बिना, अपनी स्क्रीन में डूबे रहते। वे अपने गेम के ग्रुप में थे, लेकिन असलियत में अकेले थे। उनकी दोस्ती की मज़बूत डोर, एक ऑनलाइन गेम के धागे से बँध गई थी। घटनाओं का सिलसिला शुरू हुआ: एक दिन विशाल के पिता, सुनील अंकल, ने देखा कि विशाल रात भर जागकर मोबाइल पर गेम खेल रहा है। अगले दिन स्कूल में, विशाल सोता हुआ पकड़ा गया। टीचर ने शिकायत की, "विशाल का ध्यान पढ़ाई में बिल्कुल नहीं है। वह अब लापरवाह हो गया है।" सुनील अंकल ने विशाल को डाँटा, ...

मुंबई लोकल: ज़िंदगी की रफ़्तार, जंग और उम्मीदों का सफर |kalam Verse

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  मुंबई लोकल: रोज़ का सफ़र, रोज़ की जंग आज हम बात करेंगे मुंबई की जान, मुंबई लोकल ट्रेन की। हर दिन लाखों लोग इस ट्रेन में सफर करते हैं और हर रोज़ अपनी ज़िंदगी से जंग लड़ते हैं। यह सिर्फ़ एक ट्रेन नहीं, बल्कि मुंबई की धड़कन है, जो रोज़ सुबह और शाम लोगों के सपनों और संघर्षों को अपनी पटरियों पर दौड़ाती है। जब कोई व्यक्ति अपने घर से निकलता है, तो उसके मन में कई बातें होती हैं। घर से स्टेशन तक पहुँचने का सफ़र भी किसी चुनौती से कम नहीं होता, चाहे वह बस से हो, ऑटो से हो या पैदल चलकर। स्टेशन पर पहुँचने के बाद, असल जंग शुरू होती है। जैसे ही ट्रेन आती है, प्लेटफ़ॉर्म पर मौजूद भीड़ एक लहर की तरह आगे बढ़ती है। दिल में धक -धक और आँखों में उम्मीद जब ट्रेन आने वाली होती है, तो लोगों के दिल की धड़कन बढ़ जाती है। एक तरफ़ ट्रेन पकड़ने की जल्दी होती है, तो दूसरी तरफ़ डर भी सताता है। डर: कहीं मेरा पैर न फिसल जाए, कहीं चप्पल न टूट जाए, कोई धक्का न दे दे। उम्मीद: काश, आज मुझे सीट मिल जाए, आज का सफ़र थोड़ा सुकून भरा हो। ट्रेन में चढ़ने और उतरने के समय यह डर और भी बढ़ जाता है। कई बार लोग गिर जाते हैं, चोट...

चमन चौहान और मोनू शर्मा|रिश्तों की हत्या और मासूम की चीख

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  चमन चौहान और मोनू शर्मा: रिश्तों का लहू-लुहान अध्याय और एक मासूम की सिसकती पुकार आज मैं आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जिसे सुनकर आत्मा कांप उठेगी, दिल झकझोर उठेगा और आँखों से आँसू छलक पड़ेंगे। यह सिर्फ एक अपराध की दास्तान नहीं, बल्कि रिश्तों के खून से सने उस भयानक सच का आईना है, जिसने न केवल एक मासूम जीवन को उजाड़ा, बल्कि समाज के दो राज्यों - उत्तर प्रदेश और बिहार - के माथे पर भी शर्म का ऐसा टीका लगाया, जो सदियों तक नहीं मिटेगा। यह कहानी है चमन चौहान और उसके प्रेमी मोनू शर्मा की, जिनके कुकर्मों ने एक हँसते-खेलते परिवार को मातम में बदल दिया और एक बेकसूर बच्चे की दुनिया को हमेशा हमेशा के लिए, उसके पिता से दूर, अंधेरे में धकेल दिया। एक साधारण जीवन, एक असामान्य दस्तक: कहानी की शुरुआत मुंबई के नालासोपारा से होती है। यहाँ बिहार का विजय चौहान अपने पसीने की कमाई से अपने परिवार का पेट पालता था। उसकी पत्नी, उत्तर प्रदेश की चमन चौहान (जिसे कुछ रिपोर्ट्स में गुड़िया देवी भी कहा गया है) और उनका 7 साल का मासूम बेटा, यही उसका संसार था। विजय ने दिन-रात एक करके एक आशियाना बनाया था, जिसे उस...

गरीबी में घुटती ज़िंदगी 2025 का भारत|#kalamVerse #poetry

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                                                                             2025 का भारत – जहाँ एक ओर तकनीक और विकास की बात हो रही है, वहीं दूसरी ओर आम आदमी, मजदूर और गरीब की जिंदगी और भी कठिन होती जा रही है। यह कविता उसी पीड़ा और हकीकत को बयां करती है।                                          कविता रोटी के दाम अब आसमान से बातें करते हैं,   और सियासतदान मंचों से बस वादे करते हैं।   जिसे कल भूखा देखा था, वो आज भी लाइन में है,   2025 आने के बाद भी ,  वही लोटा, वही गलास, सब खाली  हैं,  मजदूर की हथेली पर बस छाले बचे हैं,   न रोजगार, न उम्मीद, सिर्फ़ ताले बचे हैं।   बेटे की फीस और माँ की दवा,   महंगाई ने सब कुछ धीरे धीरे...

बुद्धि की बोली|Voice of Lost Wisdom – AI बनाम इंसानी सोच | हिंदी कविता | Kalam Verse

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  **यह कविता “Kalam Verse” ब्लॉग की प्रस्तुति है** कलम के शब्द अब मौन हैं, कृत्रिम बुद्धि के कानों में शोर है। सोचता नहीं अब मनुष्य कुछ भी, हर उत्तर अब मशीन की ओर है।   किताबें धूल में लिपटी हैं, पन्नों की पुकार अब कौन सुने? मोबाइल की रोशनी में जलती, वो आँखें अब सपनों को भूल चुके। नकल में पक्के, असल में कच्चे, हर छात्र बस सर्च बटन दबाए। ज्ञान नहीं, बस नंबर चाहिए,  अब मेहनत किसे रास आए   AI बना है ज्ञान का पुजारी, पर इंसान खुद ही बन बैठा भिखारी। सोच बेच दी, सवाल गिरवी रखे, अब आत्मा भी लगती है उधारी।     कविता अब जनरेशन से आती है, संवेदनाएँ गूगल से खोजी जाती हैं। पर दिल के गहराइयों में जो दर्द था, वो मशीन क्या जाने, वो तो बस गणना जानती है। चलो रुकें, थोड़ा ठहरें, क्या हम खुद को खोते जा रहे हैं? तकनीक है वरदान अगर, तो क्यों रिश्ते बेजान होते जा रहे हैं?   पढ़ो, पर समझो भी, लिखो, पर महसूस भी करो। AI से मदद लो, पर अपनी आत्मा को ना गिरवी रखो।   अगर सब कुछ AI कर लेगा, तो इंसान क्या करेगा? सिर्फ खा-पीकर जिएगा? या अपनी आत्मा भी सस्ते में बेचेगा? ### ✨ **यह...

Welcome To Kalam Verse Post – जहाँ कल्पना, कविता और कहानियाँ ज़िंदा हैं" /kalam Verse Hindi Blog में 🌹♥️🙏 आपका हार्दिक स्वागत है 🙏♥️🌹

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डिजिटल दानव : स्क्रीन की लत : एक पीढ़ी का विनाश

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 🌹♥️🙏 Welcome to my Kalam Verse 🙏♥️🌹                         डिजिटल दानव   जो आज का समय चल रहा है आप खुद से ही एक बार सोच करके देखिए कि हमारी पीढ़ी आज कहां पर जा रही है मैं आज आपको ऐसी कहानी बताने जा रहा हूं जिस पर फोकस करने की जरूरत है। आप एक ऐसी दुनिया की कल्पना करें जहाँ हर स्क्रीन एक मायावी जाल है, जहाँ बच्चे और बड़े एक अदृश्य दुश्मन के गुलाम बन चुके हैं। यह कहानी है उस खतरे की, जो धीरे-धीरे हमारे समाज को खोखला कर रहा है –  गेमिंग और डिजिटल मीडिया की अंधी दौड़। जानिए कैसे एक मासूम सा शौक, विनाशकारी लत में बदलकर जिंदगियां बर्बाद कर रहा है, और क्या हम इस "डिजिटल दानव" से बच पाएंगे?                                    कहानी गाँव का माहौल अब शहरों तक पहुँच चुका था। कभी जहाँ बच्चे गलियों में शोर मचाते थे, वहाँ अब हर घर में सन्नाटा था, जिसे सिर्फ हेडफोन से आने वाली अज़ीब आवाज़ें भंग करती थीं। आकाश, जो कभी अपनी कक्षा का होशि...

"छोटा भाई बना... बड़े भाई का दुश्मन" (एक सच्ची, मार्मिक पारिवारिक कहानी)

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💔 "कभी-कभी ज़िंदगी वो ज़ख्म देती है जो दिखते नहीं... लेकिन रूह तक चीर जाते हैं..." रिश्तों की असली परख तब होती है, जब कोई अपने स्वार्थ के लिए उसी हाथ को काटने लगे जो उसे कभी उठाकर चलाया करता था। आज की कहानी, एक ऐसे बड़े भाई की है जिसने अपनी हर ख्वाहिश कुर्बान की… लेकिन समय के साथ वही छोटा भाई उसका सबसे बड़ा सवाल बन गया। यह कहानी सिर्फ दो भाइयों की नहीं, बल्कि हर उस इंसान की है जो रिश्तों को खून से नहीं, कद्र से निभाता है। कभी एक गाँव में दो भाई रहते थे — अजय और निलेश। अजय बड़ा था। ज़िम्मेदार था। एक सपना देखा था — कि उसका छोटा भाई निलेश, एक दिन ऊँचाई पर पहुँचे। अपने हर सपने को मारकर उसने निलेश के लिए रास्ता बनाया। स्कूल की फ़ीस कॉलेज की किताबें इंटरव्यू के कपड़े पहली नौकरी के लिए किराया सब कुछ अजय ने किया। उसने शादी नहीं की, ताकि निलेश को आगे बढ़ने में कोई रुकावट न आए। लेकिन समय ने करवट बदली। वो निलेश, जो कभी भैया... भैया कहते नहीं थकता था, अब अजय को एक बोझ समझने लगा। अब न उसमें वो सम्मान था, न अपनापन, न ज़रा सा एहसान का भाव। निलेश कहता था — "भैया ने मेरे लिए किया ही क्य...

Welcome To Kalam Verse |My Welcome Post

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  Kalam Verse हिंदी ब्लॉग में आपका हार्दिक स्वागत है यहां एक ऐसी रचनात्मक दुनियां है जहाँ शब्दों के माध्यम से भावनाएँ बहती हैं, कहानियाँ जी उठती हैं और एक विचार को नई उड़ान मिलती हैं। मैं अवधेश कुमार सैनी, एक रजिस्टर्ड लेखक (SWA रजिस्ट्रेशन संख्या: 20441), इस मंच के माध्यम से आपको प्रेरणादायक कहानियाँ, भावनात्मक अनुभव, वास्तविक जीवन पर आधारित लघु फिल्म स्क्रिप्ट्स और आवाज़ में ढली कहानियाँ (वॉइसओवर कहानियाँ) प्रस्तुत करने जा रहा हूँ।    Kalam Verse   का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं है, बल्कि सोच को जगाना और समाज को सकारात्मक दिशा देना भी है। यहाँ आपको मिलेगा:  ✍️  भावनात्मक कहानियाँ प्रेरणादायक सामग्री सोच को बदलने वाले विचार वास्तविक घटनाओं पर आधारित  शॉर्ट फ़िल्मों की कहानी और उसके विडियो 🖇️ लिंक  वॉइसओवर स्टाइल कहानियाँ जीवन से जुड़ी कहानियाँ, जिंदगी🎙️ आवाज़ में ढली कविताएँ, 🎥 फिल्म जैसी स्क्रिप्ट्स, 🔥 क्रांतिकारी विचार, 🎭 मनोरंजन और मोटिवेशन का मेल, और 💭 ऐसे अनुभव जो सोच को झकझोर दें। हमारी हर कहानी आपको छूएगी, सोचने पर मजबूर करेगी, औ...